उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य परिषद
संक्षिप्त परिचय

यह संस्था भारतीय निबन्धन अधिनियम 1908 के तहत उ0प्र0 सरकार से रजिस्टर्ड ट्रस्ट द्वारा संचालित तथा प्रस्तावित परिषद की इकाई के रूप में कार्यरत है। एवं मान्यत प्राप्त है। जो समाज के उत्थान एवं सेवा हेतु एक स्वायत्तशासी संस्था है तथा वर्ष 2016 से प्राथमिक/सामुदायिक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में कार्यरत है। संस्था का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष है। संस्था कई राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़कर अपने लक्ष्य की प्रिप्त हेतु प्रयत्नशील है।

संस्था के प्रमुख उद्देश्य –

पीड़ित मानवता की सामुदायिक/प्राथमिक चिकित्सा सेवा हेतु ग्रामीण अनुभवी चिकित्सकों तथा इच्छुक अभ्यार्थियों को अपने सहयोग केन्द्रों/संस्थाओं के माध्यम से वैल क्वालीफाइड डाक्टर्स द्वारा कुशल एवं प्रशिक्षु स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में तैयार करने अतिरिक्त या सह (पैरा) चिकित्सकीय तकनीकी प्रशिक्षु तैयार करना स्वास्थ्य का प्रारम्भिक ज्ञान देना। प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता तकनीकी निजी व सह-चिकित्सकों को मान्यता सम्बन्धी जानकारी देने के बाद अपने यहाँ सदस्य के रूप में पंजीकृत करना अपने सहयोगी संगठनों संस्थाओं के सहयोग से धर्मार्थ औषधालय खोलना, निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाना तथा पीड़ित मानवता की प्राथमिक चिकित्सा सेवा हेतु यथा सम्भव सच्चा/सफल प्रयास करना आदि।

विशेष :

संस्था द्वारा संचालित यह सभी कोर्स उन अभ्यर्थियों के लिए है जो किसी अस्पताल, नर्सिग होम या मेडिकल संस्था में अनुभवी प्राइवेट कर्मचारी (नर्सेज फार्मासिस्ट डाक्टर्स – असिस्टेन्ट, पैरा स्टाफ, मेडिकल टेक्नीशियन आदि) के रूप में नियुक्त हैं लेकिन संस्थागत मेडिकली अन्ट्रेन्ड हैं अर्थात् किसी सरकारी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से संस्थागत या व्यक्तिगत किसी भी रूप में प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है या सरकारी सेवानिवृत्त पैरा चिकित्सक या अनुभवी प्राइवेट चिकित्सक जो प्राइवेट चिकित्सा व्यवसाय में पिछले कई वर्षों से संलग्न है या ऐसे अभ्यर्थी जो किन्हीं विशेष परिस्थितियों में सरकारी मान्यता प्राप्त कोर्स नहीं कर सके और अभी भी प्राथमिक चिकित्सा सेवा से लगाव है तथा आंशिक या पूर्णरूप से निजी चिकित्सा व्यवसाय कर रहे है तथा नियमित या पत्राचार द्वारा अध्ययन करना चाहते है या ऐसे अभ्यर्थी जो बहुत गरीब हैं, उच्चीकृत संस्थाओं का शुल्क दे सकने में अक्षम है किन्तु समाज की सेवा सम्मानित जीवन जी कर करना चाहते हैं। या जो उपेक्षित पिछडे़ वर्ग से है अथवा जो सुदूर ग्रामीण आंचलों में प्राथमिक चिकित्सा सेवायें/सुविधायें दे रहे है। संस्था से अथवा इससे सम्बद्ध प्रशिक्षण केन्द्रों से पत्राचार या नियमित ट्रेनिंग लेकर अपना चिकित्सकीय कार्य ठीक ढंग से और सुचारू रूप से सरकारी विनियमों के अन्तर्गत अथवा किसी चिकित्सा विशेषज्ञ के सानिध्य में रहकर या निर्देशन में स्वतंत्र रूप से कर सकते है। परिषद के कोर्सो से अभी सरकारी रजिस्ट्रेशन नहीं होता है क्योंकि पैरा कोसेंज के व्यवसाय हेतु सरकारी स्तर से सरकारी पैरा मेडिकल का सरकारी किसी भी सरकार द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। अतः पैरामेडिकल का सरकारी रजिस्ट्रेशन जब तक नहीं होता है तब तक इसी परिषद का रजिस्ट्रेशन मान्य होगा। किन्तु रोजगार कार्यालय में नामांकन किया जा सकता है। परिषद से उत्तीर्ण कोर्स के अभ्यर्थी का सरकारी बोर्ड में रजिस्ट्रेशन या किसी सरकारी संस्थान में सर्विस सरकारी संस्थान से/के सम्बन्धित अधिकारी अपने विवेकानुसार परीक्षा या इण्टरव्यू लेकर किसी विशेष अधिकार के अर्न्तगत कर भी सकते है। यह उनकी इच्छा और अधिकारों पर निर्भर है। परिषद से डिप्लोमा प्राप्त बहुत से अभ्यर्थी सरकारी/अर्द्धसरकारी व निजी संस्थानों, प्राइवेट हास्पिटल्स, नर्सिग होम्स आदि की सेवा में लगे हुये हैं।

प्रस्तावना-

आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने अपने त्वरित प्रभाव डालने और त्वरित राहत देने के कारण संसार की सारी पारस्परिक चिकित्सा पद्धतियो को किनारे कर दिया है | परन्तु अब लोगो ने महसूस किया है कि निसंदेह यह रोगी को त्वरित राहत तो देती है किन्तु यह एक अस्थायी चरण ही है| यह पद्धति रोग के मूल कारण जानने की परवाह नही करती वरन रोगी पर रोग प्रभाव को ज्ञात करके संतुष्ट हो जाती है और त्त्पश्चात वह प्रभाव को सामान्य करने हेतु औषधि उपलब्ध कराती है | इस प्रकार रोगी त्वरित राहत अनुभव करता है परन्तु रोग का मूल कारण अक्षय बना रहता है |

आधुनिक ओषधि शैली प्रकारान्तर से शारीर पर कई हानिकारक प्रभाव सालती है रोगी एक रोग से तो राहत पाता है लेकिन प्रति—प्रभाव के कारण अनेक नये उपद्रव खड़े हो जाते है निसन्देह एन्टीबायोटिक ( जीवाणु विरोधी ) और कार्टीको स्टेरियाड्स ओषधियाँ संक्रामक तथा वायरल रोगों पर अति प्रभावी होती है किन्तु गुर्दों और जिगर पर भी उनका बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है अतएव लोग पुन: योग और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लोट रहे है यदि शरीर प्रकृति के अनुकूल कार्य करता है तो निर्वाध रूप से निरोग रहता है किन्तु प्रकृति के प्रतिकूल (प्रभाव ) व्यवहार करने पर शरीर का रूग्ण होना स्वभाविक है शरीर किसी विजातीय तत्व को सहजता से स्वीकार नही करता है योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा मात्र एक चिकित्सा पद्धति ही नही वरन एक जीवन शैली है योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति शरीर मे रोग विरोधी शक्ति बढ़ाती है यह शरीर को शरीर मे उत्पन्न रोगों से ही मुक्त नही करती वरन शरीर को इतना सबल बना देती है कि भविष्य में रोग की सम्भावनाये समाप्त हो जाती है |

अब लोग विश्वस्थ है की योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा रोगों का सर्वोत्तम इलाज है योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा अल्प खर्चीली तथा सहज ही व्यवहार मे ढलने वाली है |

अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह उत्कृष्ट परिणाम के लिये योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा का क्रमबद्ध सम्पूर्ण एवम वैज्ञानिक ज्ञान वांछित है छदम भेषी (अनाड़ी ) उस आवश्कता की पूर्ती नही कर सकते बल्कि अधिकांश प्रकरणों को कष्टकारक बना देते है जिसका योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है |

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चूँकि एलोपैथिक, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी मेडिकल कॉलेज हैं किन्तु योग चिकित्सा / प्राकृतिक चिकित्सा के मेडिकल कॉलेज एवं संस्था न होने के कारण ( जिसकी अति आवश्कता है ) बड़ी कमी महसूस की जाती रही है |

अस्तु राष्ट्रीय जन कल्याण एजुकेशन ट्रस्ट एक पंजीकृत संस्थान है जो उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य परिषद संस्था को संस्थापित करने के लिये आगे आया है जो योग चिकत्सक / प्राकृतिक चिकित्सक ( डिप्लोमा धारक और मेडिकल स्नातक ) का निर्माण करने की आवश्कता की पूर्ति करेगा |